आज मन के कुछ विचार आपसे साझा करना चाहती हूँ।जीवन का असली मजा संघर्ष में है।जीवन चलते रहने का नाम है। इसमें उँचे पर्वत भी है तो गहरी खाइयाँ भी है।सुंदर पुष्प खिलते हैं तो संग कांटे भी मिलते हैं।कभी सुख का सूखा पड़ता है।कभी सुख की वर्षा होती है।
मैंने अपने जीवन में सारे रंग देखें। कभी-कभी ऐसा समय भी आया कि रंग बेरंग से होने लगे ,हाथों से सबकुछ फिसलता सा लगने लगा।वक्त तोड़ने की कोशिश करता तो मन चट्टान सा बन जाता और वह मुझे हर पल प्रेरित करता कि हारना नहीं है।जीवन के बियाबान में अकेली खड़ी राह की तलाश में आस का दीपक जलाकर उसे आँधियों से बचाने का पुरजोर प्रयास किया तब समझ में आया जिजीविषा के बिना मनुष्य पंगु हैं , असहाय है,मन को मरने नहीं देना है बस उसको धैर्य की, आस की,प्रेम की ,संतोष की ,शक्ति की बूँद से ऊर्जावान बनाना है।
जीवन में सब कुछ आसानी से नहीं मिलता और जो आसानी से मिल जाए उसका कोई मोल नहीं होता। हमें उसी में सुख मिलता है जिसे हम अपने बल पर प्राप्त करते हैं। दूसरों के द्वारा दी गई या मिली हुई खुशियां हमारे सुख के क्षणिक अंश जुटा सकती हैं कभी स्थायी नहीं बन सकती।
क्रमशः